सभी विटामिन्स व् पोषक तत्व की पूरी जानकरी-Full Information About All Vitamins


विटामिन्स व् पोषक तत्व-Vitamins & Nutritions In Hindi

अच्छे स्वास्थ्य के लिए लगभग 45 पोषक तत्वों की जरूरत होती है , बिना पोषक तत्वों के शरीर में अनेक बिमारियां हो जाती हैं |

प्रोटीन :- त्वचा, हड्डियाँ, मांसपेशियों तथा अनेक अंगों के लिए लगभग 23 प्रकार के प्रोटीनों के घटकों अमीनों, में से केवल 8 प्रकार के अमीनों की हमें सेवन करने की आवश्यकता होती है बाकी शरीर स्वत: निर्माण कर लेता है | सामान्य व्यक्ति को प्रति किलोग्राम वजन के लिए एक ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है |

श्रोत :- शाकाहारी स्रोतों में चना, मटर, मूंग, मसूर, उड़द, सोयाबीन, राजमा, लोभिया, गेहूँ, मक्का प्रमुख हैं। मांस, मछली, अंडा, दूध एवं यकृत प्रोटीन के अच्छे मांसाहारी स्रोत हैं।

सोलह से अट्ठारह वर्ष के आयु वर्गवाले लड़के, जिनका वजन ५७ किलोग्राम है, उनके लिए प्रतिदिन ७८ ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसी तरह समान आयु वर्ग वाली लड़कियों के लिए, जिनका वजन ५० किलोग्राम है, उनके लिए प्रतिदिन ६३ ग्राम प्रोटीन का सेवन जरूरी है। गर्भवती महिलाओं के लिए ६३ ग्राम, जबकि स्तनपान करानेवाली महिलाओं के लिए (छह माह तक) प्रतिदिन ७५ ग्राम प्रोटीन का सेवन आवश्यक है।

कार्बोहाइड्रेट :- रक्त में पर्याप्त शक्कर ना हो तो दिमाग ठीक तरह से काम नहीं करता है |  स्वस्थ मनुष्य के लिए प्रति किलोग्राम 4-5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट की आवश्यकता होती है | कार्बोहाइड्रेट की कमी से मधुमेह आदि रोग होता है |

श्रोत :-केला, अमरूद, गन्ना, चुकंदर, खजूर, छुआरा, मुनक्का, अंजीर, शक्कर, शहद, मीठी सब्जिया, सभी मीठी खाद्य से प्राप्त होने वाले कार्बोहाइड्रेट्स अत्यधिक शक्तिशाली और स्वास्थ्य के लिय लाभदायक होते है , गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, मोटे अनाज तथा चावल और दाल तथा जड़ो वाली सब्जियो मे पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट्स को माड़ी कहा जाता है

वसा ( फेट्स ) :- वसा ग्लूकोज से बन जाता है पर लाइनोंलिनिक और लिनोलिक वसा अम्ल आहार में अलग से होने चाहिए क्योंकि यह ग्लूकोज आदि नहीं बना पाते हैं | अम्ल के लिए वनस्पति तेलों का सहारा लेना पड़ता है | कम श्रम करने वाले तेलों का कम प्रयोग करें |

श्रोत :-मूंगफली, सरसों और जैतून के तेल हैं, जबकि करडी, सूरजमुखी, सोयाबीन और मकई के तेलों में बहुअसंतृप्त वसा अधिक होती है। मक्खन, शुद्ध घी, वनस्पति घी, नारियल और ताड़ का तेल संतृप्त वसा के प्रमुख स्रोत हैं।

दिन में कुल १५-२० ग्राम खाना पकाने का तेल ही प्रयोग करना चाहिये। वसा की शेष दैनिक जरूरत अनाज, दालों और सब्जियों से पूरी हो जाती है।

विटामिन :- विटामिन को हमेशा प्राकृतिक रूप से लेना चाहिए |यह भोजन पचाने वाले इन्जाइम की सहायता करता है | विटामिन दो प्रकार के होते हैं , एक वह जो चर्बी में घुलकर शरीर में रह जाते है, दूसरे वो जो पानी में घुलकर पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाते है अत: सिर्फ दूसरे प्रकार के विटामिन को ही रोज लेना चाहिए | जैसे :- विटामिन बी काम्प्लेक्स तथा विटामिन सी |

विटामिन ' ए ' :- त्वचा , हारमोंस , हड्डियों को बनाने का कार्य करता है , यह लीवर में रहकर खून को साफ करता है व् खाद्य पदार्थों के विषैले प्रभाव को नष्ट करता है | शरीर में प्रतिरोधी क्षमता उत्त्पन्न करता है | इसकी कमी से त्वचा शुष्क, आँखों में दर्द, रतौंधी आदि रोग होता है | विटामिन ए की अधिकता से बाल झड़ना, हड्डियों में दर्द, मितली तथा चिढचिढ़ापन हो जाता है |

श्रोत :- दूध और दूध से उतपादित खाद्य पदार्थ, हरी सब्जी, पीले सब्जी , पीले या नारंगी रंग के फल,  मांस , कोर्नफ्लेकस|

विटामिन ' बी ' काम्प्लेक्स :- विटामिन बी काम्प्लेक्स कई विटामिनों का समूह है | जैसे - 'बी-1' :- शरीर की तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है | इसकी कमी से बेरीबेरी रोग हो जाता है , पाचन क्रिया में गड़बड़ी, मांसपेशियों में ढीलापन, वजन कम होना, अनिंद्रा, भूलने की बिमारी आदि |

श्रोत :- टमाटर, भूसी दार गेहु का आटा, अण्डे की जर्दी, हरी पत्तियो के साग, बादाम, अखरोट, बिना पालिश किया चावल, पौधो के बीज, सुपारी, नारंगी, अंगूर, दूध, ताजे सेम, ताजे मटर, दाल, जिगर, वनस्पति साग सब्जी, आलू, मेवा, खमीर, मक्की, चना, नारियल, पिस्ता, ताजे फल, कमरकल्ला, दही, पालक, बन्दगोभी, मछली, अण्डे की सफेदी, माल्टा, चावल की भूसी, फलदार सब्जी आदि|

'बी-2' :- आंतों में उपस्थित लौह अंशों को पचाता है , इसकी कमी से होठ फटना , मुंह सूखना , त्वचा में सूजन , जीभ का लाल होना आदि |

श्रोत :- खमीर वाले पदार्थ, चोकर, गेंहूं आदि |

'बी-3' :- रक्त में कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करना , रक्त में थक्के ना पड़ने देना , रक्त की लाली में वृद्धि करना | इसकी कमी से पाचन क्रिया में गड़बड़ी , डायरिया , नर्वस होना आदि |

श्रोत :- खमीर, मूंगफली आदि |

'बी-4' :- लाल रक्त कणों की परिपकवता के लिए न्युकिलियो प्रोटीन नामक घटक के निर्माण में सहायता करना |

'बी-5' :- इसकी कमी से ह्रदय रोग, डिप्रेशन, थकान, सिरदर्द, तथा मांसपेशियों में तनाव होता है |

श्रोत :- खमीर, मूंगफली आदि |

'बी-6' :- अनियंत्रित मासिक चक्र को रोकना, मस्तिष्क को सुचारू रूप से चलाने में तथा रक्त में हिमोग्लोबिन बनाने में सहायता करना | इसे प्रोटीन विटामिन भी कहते हैं , इसकी उपस्थिति के बिना प्रोटीन का समुचित प्रयोग नहीं होता है | इसकी कमी से पाचन शक्ति का कमजोर होना, त्वचा और मुख सम्बन्धी रोग, अंधापन आदि |

श्रोत :- केला, नाशपाती, सूअर का जिगर आदि |

'बी-12':- आमाशय को सुव्यवस्थित करना, शारीरिक तथा मानसिक थकान, वृद्धावस्था की कमी दूर करना | इसकी कमी से रक्त सम्बन्धी रोग , धमनियों को कड़ा होना, आमाशय को ठीक करना आदि |

श्रोत :- दाल , मछली आदि |

बायोटिन :- यह वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट को पचाने में सहायक होता है , इसकी कमी से लकवा व् ह्रदय सम्बन्धी रोग होता है |

श्रोत :- खमीर, अनाज, फल, सब्जी आदि |

इनसिटोल :- शरीर वृद्धि में सहायक |

श्रोत :- साग, मटर आदि |

फोलिक एसिड :- यह गर्भ में स्थित बच्चे के स्नायुतंत्र को स्वस्थ रखता है , इसकी कमी से रक्त में सफेद रुधिर कणिका की कमी, नर्वसनेस, आदि |

श्रोत :- मसूर की दाल, सेम, पालक, गेंहूं, खमीर, चुकंदर आदि |

पी ए बी ए :- त्वचा केंसर से बचाव , असमय बुढ़ापे व् बालों को सफेद होने से रोकना आदि |

श्रोत :- खमीर, सेंधा चावल आदि |

कॉलिन :- यह शरीर में थायराइड ग्रंथि से उत्पन्न हारमोंस के उत्पादन तथा संचालन में सहायता करना | इसकी कमी से लीवर के रोग होते हैं |

श्रोत :- फल, सब्जी, सेंध नमक, धनिया आदि |

विटामिन 'सी' :- शरीर में विशेष रसायन ' कोलगेन ' के उत्पादन में सहायता करना , सर्दी - जुकाम , मानसिक बिमारियां , अल्सर रोग दूर होता है इसकी कमी से दांतों , मसूड़ों में सडन व् खून निकलना , जोड़ों में दर्द , संक्रामक रोग , स्कर्वी रोग आदि |

श्रोत :- खट्टे फलों, टमाटर, स्ट्रोवेरी, आंवला, आलू, हरा धनिया, हरी मिर्च आदि | ये फलों और सब्जियों से प्राप्त होता है, जैसे लाल मिर्च, संतरा, अनानास, टमाटर, स्ट्रॉबेरी और आलू आदि।

किसी भी स्थिति में एक दिन में विटामिन सी १००० मिलिग्राम से अधिक नहीं ग्रहण करना चाहिए। इससे अधिक वह शरीर को हानि भी पहुंचा सकता है।

विटामिन 'डी' :-  हड्डियों को मजबूत करता है | इसकी कमी से जोड़ों में दर्द , मांसपेशियों में ऐठन , धमनियों का कड़ा होना , पाचन शक्ति का बिगड़ना , भार कम होना आदि |

श्रोत :- सूर्य की रौशनी, मछली आदि |

विटामिन डी की अधिकता से शरीर के विभिन्न अंगों, जैसे गुर्दों में, हृदय में, रक्त रक्त वाहिकाओं में और अन्य स्थानों पर, एक प्रकार की पथरी उत्पन्न हो सकती है। ये विटामिन कैल्शियम का बना होता है, अतः इसके द्वारा पथरी भी बन सकती है। इससे रक्तचाप बढ सकता है, रक्त में कोलेस्टेरॉल बढ़ सकता है और हृदय पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही चक्कर आना, कमजोरी लगना और सिरदर्द, आदि भी हो सकता है। पेट खराब होने से दस्त भी हो सकता है।

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